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Wednesday, March 16, 2011

गीत



रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे I

प्यासा मन इक बूँद को तरसे II


जेबों-गरीबाँ भीग रहे हैं I

शहरो-बियाबाँ भीग रहे हैं I

हँसी गुलिस्ताँ भीग रहे हैं II


(जेबों-गरीबाँ - कुर्ते का गला और आँचल)


मेरी आँख में बदली उभरे I

पलक-पलक पर सावन उतरे I

बूँद-बूँद आँखों से गुज़रे II


लेकिन इससे क्या होता है I

मन व्याकुल है मन रोता है I

अश्कों के बूटे बोता है II


फिर भी कोई नार नवेली I

कभी न मन के अंगना खेली I

मन की पीड़ा है अलबेली II


मेरी निंदिया ख्वाब को तरसे I

प्यासा मन इक बूँद को तरसे II

1 comment:

  1. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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