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Saturday, January 4, 2014

दो और दो चार


मैं मरना चाहता था 
लेकिन 
कल मैं इसलिए नहीं मर सका 
कि मेरे माँ-बाप ये सदमा कैसे बर्दाश्त करेंगे। 

आज मैं इसलिए नहीं मरता हूँ 
कि मेरे मरने के बाद 
मेरे बच्चों का क्या होगा 

और 
कल मैं इसलिए नहीं मारूँगा 
क्योंकि मैं जीना चाहूँगा 

लेकिन 
जब मौत चाहने पर मौत नहीं मिली 
तो ज़िन्दगी चाहने पर 
ज़िन्दगी कौन देगा?  

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